व्यंग्य
सत्येंद्र प्रसाद श्रीवास्तव
एक था पीके। ये अलग बात है कि वो पीता नहीं था। वो इस गोले यानि ग्रह का नहीं
था। बचपन से ही वो पढ़ने लिखने में काफी तेज़ था। बहुत ही मेधावी। गणित और विज्ञान के सवाल तो चुटकियों
में हल कर देता था। उसके मां-बाप का भी सपना था कि बड़ा होकर वो डॉक्टर-इंजीनियर बने।
हर गोले पर मां-बाप बच्चों को डॉक्टर-इंजीनियर बनाने का ही सपना देखते हैं लेकिन
वो इस गोले के इडियट बच्चों जैसा नहीं था। वो अपने मां-बाप के सपनों पर खरा उतरा
और बन गया एस्ट्रोनॉट।
वो कितना तेज़ था, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब उसके गोले
के ‘इसरो’ या ‘नासा’ ने मिशन अर्थ शुरू किया तो उसे इसका लीडर बना दिया।
वो बड़ी ही कामयाबी से धरती पर लैंड भी कर गया लेकिन ये क्या वो तो नंगा उतरा था। मेरी
समझ ये बात नहीं आई कि जिस गोले का ‘इसरो’ या ‘नासा’ धरती के ‘इसरो’ या ‘नासा’ से इतना तेज़ था, उस गोले पर कपड़े का ही आविष्कार
नहीं हुआ था। वो नंगे रहते थे। यही नहीं उसे बोलना भी नहीं आता था। कोई जुबान
नहीं। कोई भाषा नहीं। बिल्कुल अपनी धरती का आदि मानव। अब दूसरे गोले का आदि मानव
स्पेसक्राफ्ट लेकर धऱती पर आ जाता है तो मंजूर लेकिन जब अपने यहां के पढ़े लिखे
लोग ये दावा करते हैं कि सारे बड़े-बड़े आविष्कार प्राचीन भारत में हो गया था तो
हंगामा मच जाता है। हद है भाई।
धरती पर उतरते ही उसे पता चल गया कि बीजेपी के राज में भी राजस्थान में
कानून-व्यवस्था कितनी खराब है। अभी ठीक से धरती को समझा भी नहीं था कि एक उचक्का
उसके गले से उसका रिमोट लेकर भाग गया। बस पीके यहीं से भटक गया। रिसर्च की बात भूल
गया। इसके बाद तो वो रिसर्च के अलावा उसने
वो सबकुछ किया, जिसके लिए उसके गोले ने उसे यहां नहीं भेजा था। दिल्ली की
हवा तो उसको ऐसी लगी कि वो कानून का मजाक भी उड़ाने लग गया। धर्म और राजनीति के
चक्कर में फंस गया। बस बेचारा नहीं समझ पाया तो मीडिया को। मीडिया ने तत्काल
कुत्ते को गोद से उतार कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया। लाइव-लाइव का खेल होने लगा।
झूठ बोलना भी सीख गया। मतलब पीके नाम का वह आदि मानव इस गोले से पूरी तरह आदमी
बनकर लौटा। कपड़ा भी पहने हुए था।
बिना रिसर्च किए लौट गया लेकिन एक साल बात उसके गोले ने उसे फिर वापस भेज दिया
यानि नॉन परफॉर्मर का प्रमोशन। जाहिर है अपने गोले पर भी उसने करप्शन फैला दिया
होगा।
और हां, पता नहीं उसे हर जगह डांसिंग कारें कैसे मिल जाती थी? डांसिंग कारों से कपड़ा चुराना इतना आसान है क्या? एक गाने में दिल्ली में तो एक पार्किंग में सारी कारें डांस कर रही थीं। अब ये पार्किंग कहा हैं, मुझे
तो पता नहीं लेकिन अगर आपको पता चल जाए तो दिल्ली पुलिस को जरूर सूचित कर दीजिएगा।
ये डांसिंग कारें तो दूसरे गोले पर भी भारत का नाम खराब कर रही हैं।
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